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नव वर्ष की शुभकामना

नव वर्ष की शुभकामना

प्रिय मित्रवर
आप सबों को नव वर्षा की हार्दिक शुभेक्षा | आशा है ये वर्ष आपके जीवन को  नवजीवन , नव प्रकाश और नव उत्साह से ओतप्रोत करे
शुभकामना
राजीव
मेरा अंग्रेजी ब्लॉग क्रेजी मेमोइर्स

मधुशाला

Krazy Memoirs

मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवाला
‘ किस पथ से जाऊँ? ‘ असमंजस में है वह भोलाभाला
अलग- अलग पथ बतलाते सब, पर मैं यह बतलाता हूँ –
‘ राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला ||


हाथों में आने से पहले नाज़ दिखाएगा प्याला
अधरों पर आने से पहले अदा दिखाएगी हाला
बहुतेरे इनकार करेगा साकी आने से पहले
पथिक, न घबरा जाना, पहले मान करेगी मधुशाला॥


यम आयेगा साकी बनकर साथ लिए काली हाला
पी न होश में फ़िर आएगा सुरा- विसुध यह मतवाला
यह अंतिम बेहोशी, अंतिम साकी, अंतिम प्याला है
पथिक, प्यार से पीना इसको फ़िर न मिलेगी मधुशाला॥




धर्मग्रन्थ सब जला चुकी है, जिसके अंतर की ज्वाला,
मंदिर, मसजिद, गिरिजे, सब को तोड़ चुका जो मतवाला,
पंडित, मोमिन, पादिरयों के फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला।।


मुसलमान औ’ हिन्दू है दो, एक, मगर…

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इंतज़ार

 

 

 

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रात की तन्हाई 

ये सूनापन 
तनहा अकेला
तेरी ही यादों मे खोया हुआ 
ओ मेरी चाँद परी
कैसी होगी तू 
क्या करती होगी |
क्या ये सच है…
तू मुझे सुन सकती है? 
तेरी ही आने का इंतज़ार है अब तो
नया सवेरा नयी ज़िन्दगी 
नयी उमंगें नयी तरंगे 
बस तेरा है इंतज़ार
माँ का दर्द, पापा का प्यार 
अब तक तो देखा है 
बस 
माँ के आँखों मे, और 
पापा के प्यार मे
अब बारी हमारी है 
इंतज़ार है तेरा 
मेरी नन्ही परी |
दूर होगी तन्हायी 
सूनापन, आएगा 
नया सवेरा नयी ज़िन्दगी 
नयी उमंगें नयी तरंगे 
बस तेरा है इंतज़ार

 

 

 

शुभकामनाएं

आप सबों को हमारी और से दिवाली और छठ पर्व की ढेरों शुभकामनाएं

फुर्सत के दो पल

लम्हा दर लम्हा चुराया हमने
फुर्सत के वो चंद लम्हे
एक मित्र के ब्लॉग से एक चित्र 

बिलकुल सही कहा है आपने सुरेन्द्र जी | आम आदमी त्रस्त है दिनों दिन इन भ्रस्टाचार के बढ़ते कुप्रभाओं से | राजनेता बस चुप्पी साध इंतज़ार करते हैं की कब मुद्दा ठंढा होगा| माना किसी एक आदमी को हिम्मत नहीं हुई लड़ाई का सञ्चालन करने की कभी, इसलिए श्री अन्ना को देश व्यापी समर्थन मिला | यदि उनकी जगह कोई और भी होता तो उसे भी जनता का समर्थन अवश्य मिलता | बात ये नहीं है की लड़ाई का सञ्चालन कौन कर रहा है .. बात है मुद्दे की|
कब तक ये राजनेता आम आदमी की चुप्पी पे नोट बनाते रहेंगे| डॉ मनमोहन कोई छवि, कांग्रेस मे रहते हुए भी , हमेशा बेदाग़ रही है| पर आज उनका इन सब मामलों से मुह फेर लेना अपने आप मे भ्रस्ट राजनेताओं का पक्ष लेने जैसा है| आज डॉ मनमोहन जी को अपनी छवि बेदाग़ साबित करनी होगी| उन्हें कम से कम जनता को ये बताना पड़ेगा की आखिर जब ये सब उनके नाक निचे हो रहा था तो उन्हें इसका आभास कैसे नहीं हुआ? और अगर आपको अपनी और अपने कैबिनेट के साथियों की पाक छवि पे विशवास है तो क्यूँ नहीं जन-लोकपाल बिल को सदन की मंजूरी मिलनी चाहिए|
राजनेताओं को जवाब देना पड़ेगा …

सहसा यह विश्वास ही नहीं होता कि आजाद भारत के राजनेता किस दुस्साहस के साथ जनता द्वारा उठाये गये मुद्दों को नकारने में लगे हैं। क्या भ्रष्टाचार के समर्थन या विरोध के बारे में भी कोई दो राय भी हो सकती हैं ? यह साफ साफ समझे जाने की आवश्यकता  है कि भारत की जनता के लिये ना तो बाबा रामदेव महत्वपूर्ण हैं और ना ही अन्ना हजारे। उसके लिये महत्व इस बात का है कि वह तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार से त्रस्त हो चुकी है और यदि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस मुद्दे पर … Read More

via Surenderachaturvedi's Blog